personal loan na chukane par kya hota ha

क्या होता है पर्सनल लोन न चुकाने पर ? पर्सनल लोन न चुकाना कानूनी जुर्म है.ऐसा करने पर आप के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है.आप जेल भी जा सकते हैं.आप के खिलाफ जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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तो आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं. जब आप बैंक से आप लोन लेते हैं तब बैंक और आपके बीच एक एग्रीमेंट होता है.ये एग्रीमेंट कई पेज का होता है.इस एग्रीमेंट में आपसे दर्जनों बार साइन लिया जाता है.20 से 30 पेज के इस एग्रीमेंट में क्या लिखा होता है आपको कुछ नही पता होता है.

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ये एग्रीमेंट (agreement) अंग्रेजी में होते हैं इतने छोटे अक्षरों में होते है कि पढना भी मुश्किल होता है.यदि आप पढ भी ले तो इसकी लैग्वेज आपको समझ में नही आएगी. इसमें सामान्य वाक्यों का प्रयोग नही होता है.

ये बिल्कुल वकीलो और अदालती शब्दों और वाक्यों का प्रयोग होता है.इस एग्रीमेंट को बड़े बड़े वकील काफी मेंहनत के बाद तैयार करते हैं.ये सब क्यों करवाया जाता है ताकि कोई असामयिक घटना होने पर बैंक आपके खिलाफ कारवाई कर सके.आप बैंक के खिलाफ कुछ नही कर सकते हैं बशर्ते कि बैंक ने आपके साथ कुछ ज्यादती ना की हो.

तो आप सोच सकते हैं कि जब कोई लोन लेता है और कुछ समय बाद उसकी मौत हो जाती है तो क्या बैंक उसे लोन की राशि को वैसे ही छोड़ देगा.वो इतना सारी प्रक्रिया क्यों करवाता है.बैंक आपसे एक एक पैसा वसूल कर रहेगा.

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लोन न चुकाने पर क्या होता है ?

तो जब आप लोन लेते हैं और उसे चुकाने से मना कर देते हैं भाग जाते हैं तो भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872  के तहत आपके खिलाफ बैंक कारवाई करता है.

सामान्य तौर पर जब आप लोन लेते हैं तो एक तय समय अवधि 1 साल 2 साल 4 साल 5 साल में आपको ये लोन फिक्स EMI  के तहत चुकाना होता है.

यदि इस दौरान आप तहत 90 दिन तक EMI  नहीं भरते हैं तो ऐसे में बैंक आपके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर देता है.

बैंक लोन को एनपीए (NPA, non performing asset) घोषित कर दिया जाता है.बैंक आपको नोटिस भेजेगा.बैंक एक बार नही दो से तीन बार नोटिस देगा.इसका जवाब नही मिलने पर बैंक आपके खिलाफ कोर्ट पहुंच जाएगा.

अब कोर्ट से आपके खिलाफ नोटिस जाएगा.यदि अदालत के नोटिस का भी जवाब नहीं देंगे तो फिर अदालत की ओर से आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाती है.कुर्की जब्ती होता है यानी आपकी संपत्ति को जब्त कर लिया जाता है.लोन लेते समय यदि आपने किसी को गारंटर बनाया है तो बैंक उसे भी कोर्ट में खींच सकती है.

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कोर्ट में आपके और बैंक दोनों पक्षों में सुनवाई होगी. दोनो पक्षों की ओर से दलीलो को सुनने के बाद बैंक अपना फैसला सुनाती है.

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यदि कोर्ट को दलीलों और तथ्यों को देखने के बाद लगता है कि ग्राहक की गलती है.तो बैंक उसके खिलाफ आदेश सुना सकती है.बैंक आपकी संपत्ति को बेचकर लोन चुकाने के लिए कह सकती है.

साथ ही विनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा 138 के तहत आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है.इसके तहत आपको जेल की सजा सुनायी जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी सकती है.

यह कोर्ट पर निर्भर है.एक बार जेल की सजा हो जाने के बाद आपकी साख बिल्कुल खत्म हो जाएगी.आप किसी बैंक से कभी लोन नहीं ले पाएंगे.आपकी सिविल रिपोर्ट सदा के लिए खराब हो जाएगी आप भविष्य में कभी लोन नहीं ले पाएंगे.

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